Monday 22 June, 2009

उम्मीद

पलक के तीर का क्या देखता निशाना था,
उधर थी बिजिलियाँ, जिधर मेरा आशियाना था,
पहुँच रही थी किनारे पर कश्ती-ये-उम्मीद,
उसी वक्त इस तूफ़ान को भी आना था।


उम्मीद खाभी मारा नहीं करती,
तूफ़ान टल ही जाता हैं,
लाख डगमगाए कश्ती,
किनारा मिल ही जाता हैं।

11 comments:

  1. Good.Keep Writing Please.
    Chandar Meher
    avtarmeherbaba.blogspot.com
    lifemazedar.blogspot.com

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  2. स्वागत है।
    हिन्दी लेखन प्रारम्भ करने के लिए धन्यवाद।

    भाव अच्छे हैं। मात्रा और वर्णों की अशुद्धियों को दूर कर दें ।

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  3. ब्लॉग जगत पर पहला कदम रखने प्र स्वागत-यह दुनिया यानि ब्लॉगिंग की दुनिया भी हमारी पुरानी दुनिया सरीखी ही सुन्दर,अलबेली व कभी-कभी बेरहम भी लगेगी-बस अपनी पसन्द के साथी चुने या फ़िर यहां भी एकाकी चलें

    उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
    फासिला उनके दरमियान भी था

    ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
    इस गज़ल को पूरा पढें यहां
    श्याम सखा ‘श्याम’

    http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
    http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

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  4. सच कहा ...उम्मीद मरती नहीं ..................... और किनारा भी मिल ही जाता है

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  5. aadmi ummid ka daman thaame rahta hai ',ummid hi haath chudaa jaati hai ,tab koi kahta hai ;"pratikshaa main yug beet gaye sandesh na koi mil paya ,sach batlaaun tumhen Praan ,is zine se marna ,bhaaya -isiliyen kahaa gayaa hai -ummid pe dunia kaayam hai ,Naaumidi hi maut ka doosraa naam hai -veerubhai1947@gmail.com

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  6. अति उत्तम....बहुत उम्दा

    word verification हटा दें तो बेहतर होगा


    हमारा हिन्दुस्तान

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  7. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  8. हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

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