Monday, 22 June 2009

दोस्ती या प्यार

दोस्ती में आपकी थी वोह असर,
जिसे हमने कहाँ कहाँ नहीं तलाशा,
हम भी थे कितने बेखबर,
जो प्यार को समझ बैठे थे तमाशा।


ये दोस्त, तेरी दोस्ती में कितना नूर हैं,
मिलने को जी ज़रूर हैं,
पर मंजिल बहुत दूर हैं।

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