पलक के तीर का क्या देखता निशाना था,
उधर थी बिजिलियाँ, जिधर मेरा आशियाना था,
पहुँच रही थी किनारे पर कश्ती-ये-उम्मीद,
उसी वक्त इस तूफ़ान को भी आना था।
उम्मीद खाभी मारा नहीं करती,
तूफ़ान टल ही जाता हैं,
लाख डगमगाए कश्ती,
किनारा मिल ही जाता हैं।
Monday, 22 June 2009
साथ
तुमसे पलभर का साथ माँगा,
तुमने इनकार कर दिया,
तनहा हमे छोड़ चले गए,
और पूछते हो, हमने क्या किया?
तुमने पलभर का साथ माँगा,
जिसके लिए सारे जहान से हमने नाता तोडा,
अब यह पल जो ख़त्म हुआ,
जाने अब मेरा क्या होगा!
तुमने इनकार कर दिया,
तनहा हमे छोड़ चले गए,
और पूछते हो, हमने क्या किया?
तुमने पलभर का साथ माँगा,
जिसके लिए सारे जहान से हमने नाता तोडा,
अब यह पल जो ख़त्म हुआ,
जाने अब मेरा क्या होगा!
दोस्ती या प्यार
दोस्ती में आपकी थी वोह असर,
जिसे हमने कहाँ कहाँ नहीं तलाशा,
हम भी थे कितने बेखबर,
जो प्यार को समझ बैठे थे तमाशा।
ये दोस्त, तेरी दोस्ती में कितना नूर हैं,
मिलने को जी ज़रूर हैं,
पर मंजिल बहुत दूर हैं।
जिसे हमने कहाँ कहाँ नहीं तलाशा,
हम भी थे कितने बेखबर,
जो प्यार को समझ बैठे थे तमाशा।
ये दोस्त, तेरी दोस्ती में कितना नूर हैं,
मिलने को जी ज़रूर हैं,
पर मंजिल बहुत दूर हैं।
वक्त
दुनिया भर के लिए वक्त हैं आपके पास,
बस एक हनारे लिए नहीं,
हम तो चले ही जायेंगे,
आज है यहाँ, तो कल होंगे और कहीं।
दुनिया भर के लिए वक्त हैं मेरे पास,
क्योंकि इस दुनिया में आपके सिवा रखा ही क्या हैं,
आप चले भी जायेंगे थो क्या,
आज भी आप हमारे दिल में हैं, कल भी रहेंगे।
बस एक हनारे लिए नहीं,
हम तो चले ही जायेंगे,
आज है यहाँ, तो कल होंगे और कहीं।
दुनिया भर के लिए वक्त हैं मेरे पास,
क्योंकि इस दुनिया में आपके सिवा रखा ही क्या हैं,
आप चले भी जायेंगे थो क्या,
आज भी आप हमारे दिल में हैं, कल भी रहेंगे।
जालिम दुनिया...
यारों यह दुनिया बहुत जालिम हैं, यहाँ हर राज़ छुपाना पड़ता हैं ।
लाख ग़म हो दिल में, पर महफिल में मुस्कुराना पड़ता हैं।
लाख ग़म हो दिल में, पर महफिल में मुस्कुराना पड़ता हैं।
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